7. तुम तो भली भांति दौड रहे थे, अब किस ने तुम्हें रोक दिया, कि सत्य को न मानो।
8. ऐसी सीख तुम्हारे बुलाने वाले की ओर से नहीं।
9. थोड़ा सा खमीर सारे गूंधे हुए आटे को खमीर कर डालता है।
10. मैं प्रभु पर तुम्हारे विषय में भरोसा रखता हूं, कि तुम्हारा कोई दूसरा विचार न होगा; परन्तु जो तुम्हें घबरा देता है, वह कोई क्यों न हो दण्ड पाएगा।