21. इस के बाद मैं सूरिया और किलिकिया के देशों में आया।
22. परन्तु यहूदिया की कलीसियाओं ने जो मसीह में थी, मेरा मुँह तो कभी नहीं देखा था।
23. परन्तु यही सुना करती थीं, कि जो हमें पहिले सताता था, वह अब उसी धर्म का सुसमाचार सुनाता है, जिसे पहिले नाश करता था।
24. और मेरे विषय में परमेश्वर की महिमा करती थीं॥