14. प्रिय वैद्य लूका और देमास का तुम्हें नमस्कार।
15. लौदीकिया के भाइयों को और तुमफास और उन के घर की कलीसिया को नमस्कार कहना।
16. और जब यह पत्र तुम्हारे यहां पढ़ लिया जाए, तो ऐसा करना कि लौदीकिया की कलीसिया में भी पढ़ा जाए, और वह पत्र जो लौदीकिया से आए उसे तुम भी पढ़ना।
17. फिर अखिर्प्पुस से कहना कि जो सेवा प्रभु में तुझे सौंपी गई है, उसे सावधानी के साथ पूरी करना॥
18. मुझ पौलुस का अपने हाथ से लिखा हुआ नमस्कार। मेरी जंजीरों को स्मरण रखना; तुम पर अनुग्रह होता रहे। आमीन॥