21. और ऐसी विधियों के वश में क्यों रहते हो कि यह न छूना, उसे न चखना, और उसे हाथ न लगाना?
22. (क्योंकि ये सब वस्तु काम में लाते लाते नाश हो जाएंगी)।
23. इन विधियों में अपनी इच्छा के अनुसार गढ़ी हुई भक्ति की रीति, और दीनता, और शारीरिक योगाभ्यास के भाव से ज्ञान का नाम तो है, परन्तु शारीरिक लालसाओं को रोकने में इन से कुछ भी लाभ नहीं होता॥