13. और उस सब के बाद जो हमारे बुरे कामों और बड़े दोष के कारण हम पर बीता है, जब कि हे हमारे परमेश्वर तू ने हमारे अधर्म के बराबर हमें दण्ड नहीं दिया, वरन हम में से कितनों को बचा रखा है,
14. तो क्या हम तेरी आज्ञाओं को फिर से उल्लंघन कर के इन घिनौने काम करने वाले लोगों से समधियाना का सम्बन्ध करें? क्या तू हम पर यहां तक कोप न करेगा जिस से हम मिट जाएं और न तो कोई बचे और न कोई रह जाए?
15. हे इस्राएल के परमेश्वर यहोवा! तू तो धमीं है, हम बचकर मुक्त हुए हैं जैसे कि आज वर्तमान हैं। देख, हम तेरे साम्हने दोषी हैं, इस कारण कोई तेरे साम्हने खड़ा नहीं रह सकता।