28. और मैं ने उन से कहा, तुम तो यहोवा के लिये पवित्र हो, और ये पात्र भी पवित्र हैं; और यह चान्दी और सोना भेंट का है, जो तुम्हारे पितरों के परमेश्वर यहोवा के लिये प्रसन्नता से दी गई।
29. इसलिये जागते रहो, और जब तक तुम इन्हें यरूशलेम में प्रधान याजकों और लेवियों और इस्राएल के पितरों के घरानों के प्रधानों के साम्हने यहोवा के भवन की कोठरियों में तौल कर न दो, तब तक इनकी रक्षा करते रहो।
30. तब याजकों और लेवियों ने चान्दी, सोने और पात्रों को तौल कर ले लिया कि उन्हें यरूशलेम को हमारे परमेश्वर के भवन में पहुंचाएं।
31. पहिले महीने के बारहवें दिन को हम ने अहवा नदी से कूच कर के यरूशलेम का मार्ग लिया, और हमारे परमेश्वर की कृपादृष्टि हम पर रही; और उसने हम को शत्रुओं और मार्ग पर घात लगाने वालों के हाथ से बचाया।
32. निदान हम यरूशलेम को पहुंचे और वहां तीन दिन रहे।
33. फिर चौथे दिन वह चान्दी-सोना और पात्र हमारे परमेश्वर के भवन में ऊरीयाह के पुत्र मरेमोत याजक के हाथ में तौल कर दिए गए। और उसके संग पीनहास का पुत्र एलीआजर था, और उनके साथ येशू का पुत्र योजाबाद लेवीय और बिल्नूई का पुत्र नोअद्याह लेवीय थे।
34. वे सब वस्तुएं गिनी और तौली गई, और उनका तौल उसी समय लिखा गया।
35. जो बन्धुआई से आए थे, उन्होंने इस्राएल के परमेश्वर के लिये होमबलि चढ़ाए; अर्थात समस्त इस्राएल के निमित्त बारह बछड़े, छियानवे मेढ़े और सतहत्तर मेम्ने और पापबलि के लिये बारह बकरे; यह सब यहोवा के लिये होमबलि था।