8. वरन मैं आज्ञा देता हूं कि तुम्हें यहूदियों के उन पुरनियों से ऐसा बर्ताव करना होगा, कि परमेश्वर का वह भवन बनाया जाए; अर्थात राजा के धन में से, महानद के पार के कर में से, उन पुरुषों को फुतीं के साथ खर्चा दिया जाए; ऐसा न हो कि उन को रुकना पड़े।
9. और क्या बछड़े! क्या मेढ़े! क्या मेम्ने! स्वर्ग के परमेश्वर के होमबलियों के लिये जिस जिस वस्तु का उन्हें प्रयोजन हो, और जितना गेहूं, नमक, दाखमधु और तेल यरूशलेम के याजक कहें, वह सब उन्हें बिना भूल चूक प्रतिदिन दिया जाए,
10. इसलिये कि वे स्वर्ग के परमेश्वर को सुखदायक सुगन्ध वाले बलि चढ़ा कर, राजा और राजकुमारों के दीर्घायु के लिये प्रार्थना किया करें।
11. फिर मैं ने आज्ञा दी है, कि जो कोई यह आज्ञा टाले, उसके घर में से कड़ी निकाली जाए, और उस पर वह स्वयं चढ़ा कर जकड़ा जाए, और उसका घर इस अपराध के कारण घूरा बनाया जाए।
12. और परमेश्वर जिसने वहां अपने नाम का निवास ठहराया है, वह क्या राजा क्या प्रजा, उन सभों को जो यह आज्ञा टालने और परमेश्वर के भवन को जो यरूशलेम में है नाश करने के लिये हाथ बढ़ाएं, नष्ट करें। मुझ दारा ने यह आज्ञा दी है फुतीं से ऐसा ही करना।
13. तब महानद के इस पार के अधिपति तत्तनै और शतर्बोजनै और उनके सहचरियों ने दारा राजा के चिट्ठी भेजने के कारण, उसी के अनुसार फुतीं से काम किया।