9. तब यहूदा और बिन्यामीन के सब मनुष्य तीन दिन के भीतर यरूशलेम में इकट्ठे हुए; यह नौवें महीने के बीसवें दिन में हुआ; और सब लोग परमेश्वर के भवन के चौक में उस विषय के कारण और झड़ी के मारे कांपते हुए बैठे रहे।
10. तब एज्रा याजक खड़ा हो कर उन से कहने लगा, तुम लोगों ने विश्वासघात कर के अन्यजाति-स्त्रियां ब्याह लीं, और इस से इस्राएल का दोष बढ़ गया है।
11. सो अब अपने पितरों के परमेश्वर यहोवा के साम्हने अपना पाप मान लो, और उसकी इच्छा पूरी करो, और इस देश के लोगों से और अन्यजाति स्त्रियों से न्यारे हो जाओ।
12. तब पूरी मणडली के लोगों ने ऊंचे शब्द से कहा, जैसा तू ने कहा है, वैसा ही हमें करना उचित है।
13. परन्तु लोग बहुत हैं, और झड़ी का समय है, और हम बाहर खड़े नहीं रह सकते, और यह दो एक दिन का काम नहीं है, क्योंकि हम ने इस बात में बड़ा अपराध किया है।
14. समस्त मणडली की ओर से हमारे हाकिम नियुक्त किए जाएं; और जब तक हमारे परमेश्वर का भड़का हुआ कोप हम से दूर न हो, और यह काम निपट न जाए, तब तक हमारे नगरों के जितने निवासियों ने अन्यजाति-स्त्रियां ब्याह ली हों, वे नियत समयों पर आया करें, और उनके संग एक नगर के पुरनिये और न्यायी आएं।
15. इसके विरुद्ध केवल असाहेल के पुत्र योनातान और तिकवा के पुत्र यहजयाह खड़े हुए, और मशुल्लाम और शब्बतै लेवियों ने उनकी सहायता की।
16. परन्तु बन्धुआई से आए हुए लोगों ने वैसा ही किया। तब एज्रा याजक और पितरों के घरानों के कितने मुख्य पुरुष अपने अपने पितरों के घराने के अनुसार अपने सब नाम लिखा कर अलग किए गए, और दसवें महीने के पहिले दिन को इस बात की तहकीकात के लिये बैठे।
17. और पहिले महीने के पहिले दिन तक उन्होंने उन सब पुरुषों की बात निपटा दी, जिन्होंने अन्यजाति-स्त्रियों को ब्याह लिया था।
18. और याजकों की सन्तान में से; ये जन पाए गए जिन्होंने अन्यजाति-स्त्रियों को ब्याह लिया था, अर्थात येशू के पुत्र, योसादाक के पुत्र, और उसके भाई मासेयाह, एलीआज़र, यारीब और गदल्याह।
19. इन्होंने हाथ मारकर वचन दिया, कि हम अपनी स्त्रियों को निकाल देंगे, और उन्होंने दोषी ठहरकर, अपने अपने दोष के कारण एक एक मेढ़ा बलि किया।
20. और इम्मेर की सन्तान में से; हनानी और जबद्याह,
21. और हारीम की सन्तान में से; मासेयाह, एलीयाह, शमायाह, यहीएल और उज्जियाह।