उत्पत्ति 6:6-16 हिंदी पवित्र बाइबल (HHBD)

6. और यहोवा पृथ्वी पर मनुष्य को बनाने से पछताया, और वह मन में अति खेदित हुआ।

7. तब यहोवा ने सोचा, कि मैं मनुष्य को जिसकी मैं ने सृष्टि की है पृथ्वी के ऊपर से मिटा दूंगा; क्या मनुष्य, क्या पशु, क्या रेंगने वाले जन्तु, क्या आकाश के पक्षी, सब को मिटा दूंगा क्योंकि मैं उनके बनाने से पछताता हूं।

8. परन्तु यहोवा के अनुग्रह की दृष्टि नूह पर बनी रही॥

9. नूह की वंशावली यह है। नूह धर्मी पुरूष और अपने समय के लोगों में खरा था, और नूह परमेश्वर ही के साथ साथ चलता रहा।

10. और नूह से, शेम, और हाम, और येपेत नाम, तीन पुत्र उत्पन्न हुए।

11. उस समय पृथ्वी परमेश्वर की दृष्टि में बिगड़ गई थी, और उपद्रव से भर गई थी।

12. और परमेश्वर ने पृथ्वी पर जो दृष्टि की तो क्या देखा, कि वह बिगड़ी हुई है; क्योंकि सब प्राणियों ने पृथ्वी पर अपनी अपनी चाल चलन बिगाड़ ली थी।

13. तब परमेश्वर ने नूह से कहा, सब प्राणियों के अन्त करने का प्रश्न मेरे साम्हने आ गया है; क्योंकि उनके कारण पृथ्वी उपद्रव से भर गई है, इसलिये मैं उन को पृथ्वी समेत नाश कर डालूंगा।

14. इसलिये तू गोपेर वृक्ष की लकड़ी का एक जहाज बना ले, उस में कोठरियां बनाना, और भीतर बाहर उस पर राल लगाना।

15. और इस ढंग से उसको बनाना: जहाज की लम्बाई तीन सौ हाथ, चौड़ाई पचास हाथ, और ऊंचाई तीस हाथ की हो।

16. जहाज में एक खिड़की बनाना, और इसके एक हाथ ऊपर से उसकी छत बनाना, और जहाज की एक अलंग में एक द्वार रखना, और जहाज में पहिला, दूसरा, तीसरा खण्ड बनाना।

उत्पत्ति 6