21. तब उसने वहां के लोगों से पूछा, कि वह देवदासी जो एनैम में मार्ग की एक और बैठी थी, कहां है? उन्होंने कहा, यहां तो कोई देवदासी न थी।
22. सो उसने यहूदा के पास लौट के कहा, मुझे वह नहीं मिली; और उस स्थान के लोगों ने कहा, कि यहां तो कोई देवदासी न थी।
23. तब यहूदा ने कहा, अच्छा, वह बन्धक उस के पास रहने दे, नहीं तो हम लोग तुच्छ गिने जाएंगे: देख, मैं ने बकरी का यह बच्चा भेज दिया, पर वह तुझे नहीं मिली।
24. और तीन महीने के पीछे यहूदा को यह समाचार मिला, कि तेरी बहू तामार ने व्यभिचार किया है; वरन वह व्यभिचार से गर्भवती भी हो गई है। तब यहूदा ने कहा, उसको बाहर ले आओ, कि वह जलाई जाए।
25. जब उसे बाहर निकाल रहे थे, तब उसने, अपने ससुर के पास यह कहला भेजा, कि जिस पुरूष की ये वस्तुएं हैं, उसी से मैं गर्भवती हूं; फिर उसने यह भी कहलाया, कि पहिचान तो सही, कि यह मुहर, और बाजूबन्द, और छड़ी किस की है।
26. यहूदा ने उन्हें पहिचान कर कहा, वह तो मुझ से कम दोषी है; क्योंकि मैं ने उसे अपने पुत्र शेला को न ब्याह दिया। और उसने उससे फिर कभी प्रसंग न किया।
27. जब उसके जनने का समय आया, तब यह जान पड़ा कि उसके गर्भ में जुड़वे बच्चे हैं।
28. और जब वह जनने लगी तब एक बालक ने अपना हाथ बढ़ाया: और धाय ने लाल सूत ले कर उसके हाथ में यह कहते हुथे बान्ध दिया, कि पहिले यही उत्पन्न हुआ।