11. तब याकूब ने राहेल को चूमा, और ऊंचे स्वर से रोया।
12. और याकूब ने राहेल को बता दिया, कि मैं तेरा फुफेरा भाई हूं, अर्थात रिबका का पुत्र हूं: तब उसने दौड़ के अपने पिता से कह दिया।
13. अपने भानजे याकूब का समाचार पाते ही लाबान उससे भेंट करने को दौड़ा, और उसको गले लगाकर चूमा, फिर अपने घर ले आया। और याकूब ने लाबान से अपना सब वृत्तान्त वर्णन किया।
14. तब लाबान ने याकूब से कहा, तू तो सचमुच मेरी हड्डी और मांस है। सो याकूब एक महीना भर उसके साथ रहा।
15. तब लाबान ने याकूब से कहा, भाईबन्धु होने के कारण तुझ से सेंतमेंत सेवा कराना मुझे उचित नहीं है, सो कह मैं तुझे सेवा के बदले क्या दूं?
16. लाबान के दो बेटियां थी, जिन में से बड़ी का नाम लिआ: और छोटी का राहेल था।
17. लिआ: के तो धुन्धली आंखे थी, पर राहेल रूपवती और सुन्दर थी।
18. सो याकूब ने, जो राहेल से प्रीति रखता था, कहा, मैं तेरी छोटी बेटी राहेल के लिये सात बरस तेरी सेवा करूंगा।
19. लाबान ने कहा, उसे पराए पुरूष को देने से तुझ को देना उत्तम होगा; सो मेरे पास रह।
20. सो याकूब ने राहेल के लिये सात बरस सेवा की; और वे उसको राहेल की प्रीति के कारण थोड़े ही दिनों के बराबर जान पड़े।
21. तब याकूब ने लाबान से कहा, मेरी पत्नी मुझे दे, और मैं उसके पास जाऊंगा, क्योंकि मेरा समय पूरा हो गया है।
22. सो लाबान ने उस स्थान के सब मनुष्यों को बुला कर इकट्ठा किया, और उनकी जेवनार की।
23. सांझ के समय वह अपनी बेटी लिआ: को याकूब के पास ले गया, और वह उसके पास गया।
24. और लाबान ने अपनी बेटी लिआ: को उसकी लौंडी होने के लिये अपनी लौंडी जिल्पा दी।
25. भोर को मालूम हुआ कि यह तो लिआ है, सो उसने लाबान से कहा यह तू ने मुझ से क्या किया है? मैं ने तेरे साथ रहकर जो तेरी सेवा की, सो क्या राहेल के लिये नहीं की? फिर तू ने मुझ से क्यों ऐसा छल किया है?
26. लाबान ने कहा, हमारे यहां ऐसी रीति नहीं, कि जेठी से पहिले दूसरी का विवाह कर दें।
27. इसका सप्ताह तो पूरा कर; फिर दूसरी भी तुझे उस सेवा के लिये मिलेगी जो तू मेरे साथ रह कर और सात वर्ष तक करेगा।