40. और तू अपनी तलवार के बल से जीवित रहे, और अपने भाई के आधीन तो होए, पर जब तू स्वाधीन हो जाएगा, तब उसके जूए को अपने कन्धे पर से तोड़ फेंके।
41. ऐसाव ने तो याकूब से अपने पिता के दिए हुए आशीर्वाद के कारण बैर रखा; सो उसने सोचा, कि मेरे पिता के अन्तकाल का दिन निकट है, फिर मैं अपने भाई याकूब को घात करूंगा।
42. जब रिबका को अपने पहिलौठे पुत्र ऐसाव की ये बातें बताई गईं, तब उसने अपने लहुरे पुत्र याकूब को बुला कर कहा, सुन, तेरा भाई ऐसाव तुझे घात करने के लिये अपने मन को धीरज दे रहा है।
43. सो अब, हे मेरे पुत्र, मेरी सुन, और हारान को मेरे भाई लाबान के पास भाग जा ;
44. और थोड़े दिन तक, अर्थात जब तक तेरे भाई का क्रोध न उतरे तब तक उसी के पास रहना।
45. फिर जब तेरे भाई का क्रोध तुझ पर से उतरे, और जो काम तू ने उस से किया है उसको वह भूल जाए; तब मैं तुझे वहां से बुलवा भेजूंगी: ऐसा क्यों हो कि एक ही दिन में मुझे तुम दोनों से रहित होना पड़े?
46. फिर रिबका ने इसहाक से कहा, हित्ती लड़कियों के कारण मैं अपने प्राण से घिन करती हूं; सो यदि ऐसी हित्ती लड़कियों में से, जैसी इस देश की लड़कियां हैं, याकूब भी एक को कहीं ब्याह ले, तो मेरे जीवन में क्या लाभ होगा?