4. तब मेरी रूचि के अनुसार स्वादिष्ट भोजन बना कर मेरे पास ले आना, कि मैं उसे खा कर मरने से पहले तुझे जी भर के आशीर्वाद दूं।
5. तब ऐसाव अहेर करने को मैदान में गया। जब इसहाक ऐसाव से यह बात कह रहा था, तब रिबका सुन रही थी।
6. सो उसने अपने पुत्र याकूब से कहा सुन, मैं ने तेरे पिता को तेरे भाई ऐसाव से यह कहते सुना,
7. कि तू मेरे लिये अहेर कर के उसका स्वादिष्ट भोजन बना, कि मैं उसे खा कर तुझे यहोवा के आगे मरने से पहिले आशीर्वाद दूं
8. सो अब, हे मेरे पुत्र, मेरी सुन, और यह आज्ञा मान,
9. कि बकरियों के पास जा कर बकरियों के दो अच्छे अच्छे बच्चे ले आ; और मैं तेरे पिता के लिये उसकी रूचि के अनुसार उन के मांस का स्वादिष्ट भोजन बनाऊंगी।
10. तब तू उसको अपने पिता के पास ले जाना, कि वह उसे खा कर मरने से पहिले तुझ को आशीर्वाद दे।
11. याकूब ने अपनी माता रिबका से कहा, सुन, मेरा भाई ऐसाव तो रोंआर पुरूष है, और मैं रोमहीन पुरूष हूं।
12. कदाचित मेरा पिता मुझे टटोलने लगे, तो मैं उसकी दृष्टि में ठग ठहरूंगा; और आशीष के बदले शाप ही कमाऊंगा।
13. उसकी माता ने उससे कहा, हे मेरे, पुत्र, शाप तुझ पर नहीं मुझी पर पड़े, तू केवल मेरी सुन, और जा कर वे बच्चे मेरे पास ले आ।