15. सो जितने कुओं को उसके पिता इब्राहीम के दासों ने इब्राहीम के जीते जी खोदा था, उन को पलिश्तियों ने मिट्टी से भर दिया।
16. तब अबीमेलेक ने इसहाक से कहा, हमारे पास से चला जा; क्योंकि तू हम से बहुत सामर्थी हो गया है।
17. सो इसहाक वहां से चला गया, और गरार के नाले में तम्बू खड़ा करके वहां रहने लगा।
18. तब जो कुएं उसके पिता इब्राहीम के दिनों में खोदे गए थे, और इब्राहीम के मरने के पीछे पलिश्तियों ने भर दिए थे, उन को इसहाक ने फिर से खुदवाया; और उनके वे ही नाम रखे, जो उसके पिता ने रखे थे।
19. फिर इसहाक के दासों को नाले में खोदते खोदते बहते जल का एक सोता मिला।
20. तब गरारी चरवाहों ने इसहाक के चरवाहों से झगड़ा किया, और कहा, कि यह जल हमारा है। सो उसने उस कुएं का नाम एसेक रखा इसलिये कि वे उससे झगड़े थे।
21. फिर उन्होंने दूसरा कुआं खोदा; और उन्होंने उसके लिये भी झगड़ा किया, सो उसने उसका नाम सित्रा रखा।