26. लूत की पत्नी ने जो उसके पीछे थी दृष्टि फेर के पीछे की ओर देखा, और वह नमक का खम्भा बन गई।
27. भोर को इब्राहीम उठ कर उस स्थान को गया, जहां वह यहोवा के सम्मुख खड़ा था;
28. और सदोम, और अमोरा, और उस तराई के सारे देश की ओर आंख उठा कर क्या देखा, कि उस देश में से धधकती हुई भट्टी का सा धुआं उठ रहा है।
29. और ऐसा हुआ, कि जब परमेश्वर ने उस तराई के नगरों को, जिन में लूत रहता था, उलट पुलट कर नाश किया, तब उसने इब्राहीम को याद करके लूत को उस घटना से बचा लिया।