34. आग की ज्वाला को ठंडा किया; तलवार की धार से बच निकले, निर्बलता में बलवन्त हुए; लड़ाई में वीर निकले; विदेशियों की फौजों को मार भगाया।
35. स्त्रियों ने अपने मरे हुओं को फिर जीवते पाया; कितने तो मार खाते खाते मर गए; और छुटकारा न चाहा; इसलिये कि उत्तम पुनरुत्थान के भागी हों।
36. कई एक ठट्ठों में उड़ाए जाने; और कोड़े खाने; वरन बान्धे जाने; और कैद में पड़ने के द्वारा परखे गए।
37. पत्थरवाह किए गए; आरे से चीरे गए; उन की परीक्षा की गई; तलवार से मारे गए; वे कंगाली में और क्लेश में और दुख भोगते हुए भेड़ों और बकिरयों की खालें ओढ़े हुए, इधर उधर मारे मारे फिरे।
38. और जंगलों, और पहाड़ों, और गुफाओं में, और पृथ्वी की दरारों में भटकते फिरे।
39. संसार उन के योगय न था: और विश्वास ही के द्वारा इन सब के विषय में अच्छी गवाही दी गई, तौभी उन्हें प्रतिज्ञा की हुई वस्तु न मिली।
40. क्योंकि परमेश्वर ने हमारे लिये पहिले से एक उत्तम बात ठहराई, कि वे हमारे बिना सिद्धता को न पहुंचे॥