17. (फिर वह यह कहता है, कि) मैं उन के पापों को, और उन के अधर्म के कामों को फिर कभी स्मरण न करूंगा।
18. और जब इन की क्षमा हो गई है, तो फिर पाप का बलिदान नहीं रहा॥
19. सो हे भाइयो, जब कि हमें यीशु के लोहू के द्वारा उस नए और जीवते मार्ग से पवित्र स्थान में प्रवेश करने का हियाव हो गया है।
20. जो उस ने परदे अर्थात अपने शरीर में से होकर, हमारे लिये अभिषेक किया है,