4. और चाहे शत्रु उन्हें हांक कर बंधुआई में ले जाएं, वहां भी मैं आज्ञा देकर तलवार से उन्हें घात कराऊंगा; और मैं उन पर भलाई करने के लिये नहीं, बुराई की करने के लिये दृष्टि करूंगा॥
5. सेनाओं के परमेश्वर यहोवा के स्पर्श करने से पृथ्वी पिघलती है, और उसके सारे रहने वाले विलाप करते हैं; और वह सब की सब मिस्र की नदी के समान जो जाती है, जो बढ़ती है फिर लहरें मारती, और घट जाती है।
6. जो आकाश में अपनी कोठरियां बनाता, और अपने आकाशमण्डल की नेव पृथ्वी पर डालता, और समुद्र का जल घरती पर बहा देता है, उसी का नाम यहोवा है॥
7. हे इस्राएलियों, यहोवा की यह वाणी है, क्या तुम मेरे लेखे कूशियों के समान नहीं हो? क्या मैं इस्राएल को मिस्र देश से और पलिश्तियों को कप्तोर से नहीं निकाल लाया? और अरामियों को कीर से नहीं निकाल लाया?