27. क्या उकाब तेरी आज्ञा से ऊपर चढ़ जाता है, और ऊंचे स्थान पर अपना घोंसला बनाता है?
28. वह चट्टान पर रहता और चट्टान की चोटी और दृढ़स्थान पर बसेरा करता है।
29. वह अपनी आंखों से दूर तक देखता है, वहां से वह अपने अहेर को ताक लेता है।
30. उसके बच्चे भी लोहू चूसते हैं; और जहां घात किए हुए लोग होते वहां वह भी होता है।