34. क्या तू बादलों तक अपनी वाणी पहुंचा सकता है ताकि बहुत जल बरस कर तुझे छिपा ले?
35. क्या तू बिजली को आज्ञा दे सकता है, कि वह जाए, और तुझ से कहे, मैं उपस्थित हूँ?
36. किस ने अन्त:करण में बुद्धि उपजाई, और मन में समझने की शक्ति किस ने दी है?
37. कौन बुद्धि से बादलों को गिन सकता है? और कौन आकाश के कुप्पों को उण्डेल सकता है,
38. जब धूलि जम जाती है, और ढेले एक दूसरे से सट जाते हैं?
39. क्या तू सिंहनी के लिये अहेर पकड़ सकता, और जवान सिंहों का पेट भर सकता है,
40. जब वे मांद में बैठे हों और आड़ में घात लगाए दबक कर बैठे हों?
41. फिर जब कौवे के बच्चे ईश्वर की दोहाई देते हुए निराहार उड़ते फिरते हैं, तब उन को आहार कौन देता है?