14. वे जवानी में मर जाते हैं और उनका जीवन लूच्चों के बीच में नाश होता है।
15. वह दुखियों को उनके दु:ख से छुड़ाता है, और उपद्रव में उनका कान खोलता है।
16. परन्तु वह तुझ को भी क्लेश के मुंह में से निकाल कर ऐसे चौड़े स्थान में जहां सकेती नहीं है, पहुंचा देता है, और चिकना चिकना भोजन तेरी मेज पर परोसता है।