अय्यूब 30:26-31 हिंदी पवित्र बाइबल (HHBD)

26. जब मैं कुशल का मार्ग जोहता था, तब विपत्ति आ पड़ी; और जब मैं उजियाले का आसरा लगाए था, तब अन्धकार छा गया।

27. मेरी अन्तडिय़ां निरन्तर उबलती रहती हैं और आराम नहीं पातीं; मेरे दु:ख के दिन आ गए हैं।

28. मैं शोक का पहिरावा पहिने हुए मानो बिना सूर्य की गमीं के काला हो गया हूँ। और सभा में खड़ा हो कर सहायता के लिये दोहाई देता हूँ।

29. मैं गीदड़ों का भाई और शुतुर्मुर्गों का संगी हो गया हूँ।

30. मेरा चमड़ा काला हो कर मुझ पर से गिरता जाता है, और तप के मारे मेरी हड्डियां जल गई हैं।

31. इस कारण मेरी वीणा से विलाप और मेरी बांसुरी से रोने की ध्वनि निकलती है।

अय्यूब 30