20. फिर बुद्धि कहां मिल सकती है? और समझ का स्थान कहां?
21. वह सब प्राणियों की आंखों से छिपी है, और आकाश के पक्षियों के देखने में नहीं आती।
22. विनाश ओर मृत्यु कहती हैं, कि हमने उसकी चर्चा सुनी है।
23. परन्तु परमेश्वर उसका मार्ग समझता है, और उसका स्थान उसको मालूम है।