8. वह जल को अपनी काली घटाओं में बान्ध रखता, और बादल उसके बोझ से नहीं फटता।
9. वह अपने सिंहासन के साम्हने बादल फैला कर उसको छिपाए रखता है।
10. उजियाले और अन्धियारे के बीच जहां सिवाना बंधा है, वहां तक उसने जलनिधि का सिवाना ठहरा रखा है।
11. उसकी घुड़की से आकाश के खम्भे थरथरा कर चकित होते हैं।