3. निर्बुद्धि मनुष्य को तू ने क्या ही अच्छी सम्मति दी, और अपनी खरी बुद्धि कैसी भली भांति प्रगट की है?
4. तू ने किसके हित के लिये बातें कही? और किसके मन की बातें तेरे मुंह से निकलीं?
5. बहुत दिन के मरे हुए लोग भी जलनिधि और उसके निवासियों के तले तड़पते हैं।
6. अधोलोक उसके साम्हने उघड़ा रहता है, और विनाश का स्थान ढंप नहीं सकता।
7. वह उत्तर दिशा को निराधार फैलाए रहता है, और बिना टेक पृथ्वी को लटकाए रखता है।
8. वह जल को अपनी काली घटाओं में बान्ध रखता, और बादल उसके बोझ से नहीं फटता।