8. तब दाऊद अप्रसन्न हुआ, इसलिये कि यहोवा उज्जा पर टूट पड़ा था; और उसने उस स्थान का नाम पेरेसुज्जा रखा, यह नाम आज के दिन तक वर्तमान है।
9. और उस दिन दाऊद यहोवा से डरकर कहने लगा, यहोवा का सन्दूक मेरे यहां क्योंकर आए?
10. इसलिये दाऊद ने यहोवा के सन्दूक को अपने यहां दाऊदपुर में पहुंचाना न चाहा; परन्तु गतवासी ओबेदेदोम के यहां पहुंचाया।
11. और यहोवा का सन्दूक गती ओबेदेदोम के घर में तीन महीने रहा; और यहोवा ने ओबेदेदोम और उसके समस्त घराने को आशिष दी।
12. तब दाऊद राजा को यह बताया गया, कि यहोवा ने ओबेदेदोम के घराने पर, और जो कुछ उसका है, उस पर भी परमेश्वर के सन्दूक के कारण आशिष दी है। तब दाऊद ने जा कर परमेश्वर के सन्दूक को ओबेदेदोम के घर से दाऊदपुर में आनन्द के साथ पहूंचा दिया।
13. जब यहोवा के सन्दूक के उठाने वाले छ: कदम चल चुके, तब दाऊद ने एक बैल और एक पाला पोसा हुआ बछड़ा बलि कराया।
14. और दाऊद सनी का एपोद कमर में कसे हुए यहोवा के सम्मुख तन मन से नाचता रहा।
15. यों दाऊद और इस्राएल का समस्त घराना यहोवा के सन्दूक को जयजयकार करते और नरसिंगा फूंकते हुए ले चला।
16. जब यहोवा का सन्दूक दाऊदपुर में आ रहा था, तब शाऊल की बेटी मीकल ने खिड़की में से झांककर दाऊद राजा को यहोवा के सम्मुख नाचते कूदते देखा, और उसे मन ही मन तुच्छ जाना।