22. फिर सादोक के पुत्र अहीमास ने दूसरी बार योआब से कहा, जो हो सो हो, परन्तु मुझे भी कूशी के पीछे दौड़ जाने दे। योआब ने कहा, हे मेरे बेटे, तेरे समाचार का कुछ बदला न मिलेगा, फिर तू क्यों दौड़ जाना चाहता है?
23. उसने यह कहा, जो हो सो हो, परन्तु मुझे दौड़ जाने दे। उसने उस से कहा, दौड़। तब अहीमास दौड़ा, और तराई से हो कर कूशी के आगे बढ़ गया।
24. दाऊद तो दो फाटकों के बीच बैठा था, कि पहरुआ जो फाटक की छत से हो कर शहरपनाह पर चढ़ गया था, उसने आंखें उठा कर क्या देखा, कि एक मनुष्य अकेला दौड़ा आता है।
25. जब पहरुए ने पुकार के राजा को यह बता दिया, तब राजा ने कहा, यदि अकेला आता हो, तो सन्देशा लाता होगा। वह दौड़ते दौड़ते निकल आया।
26. फिर पहरुए ने एक और मनुष्य को दौड़ते हुए देख फाटक के रख वाले को पुकार के कहा, सुन, एक और मनुष्य अकेला दौड़ा आता है। राजा ने कहा, वह भी सन्देशा लाता होगा।
27. पहरुए ने कहा, मुझे तो ऐसा देख पड़ता है कि पहले का दौड़ना सादोक के पुत्र अहीमास का सा है। राजा ने कहा, वह तो भला मनुष्य है, तो भला सन्देश लाता होगा।
28. तब अहीमास ने पुकार के राजा से कहा, कल्याण। फिर उसने भूमि पर मुंह के बल गिर राजा को दण्डवत् करके कहा, तेरा परमेश्वर यहोवा धन्य है, जिसने मेरे प्रभु राजा के विरुद्ध हाथ उठाने वाले मनुष्यों को तेरे वश में कर दिया है!
29. राजा ने पूछा, क्या उस जवान अबशालोम का कल्याण है? अहीमास ने कहा, जब योआब ने राजा के कर्मचारी को और तेरे दास को भेज दिया, तब मुझे बड़ी भीड़ देख पड़ी, परन्तु मालूम न हुआ कि क्या हुआ था।