29. और तेरे लिये यह चिन्ह होगा, कि इस वर्ष तो तुम उसे खाओगे जो आप से आप उगे, और दूसरे वर्ष उसे जो उत्पन्न हो वह खाओगे; और तीसरे वर्ष बीज बोने और उसे लवने पाओगे, और दाख की बारियां लगाने और उनका फल खाने पाओगे।
30. और यहूदा के घराने के बचे हुए लोग फिर जड़ पकड़ेंगे, और फलेंगे भी।
31. क्योंकि यरूशलेम में से बचे हुए और सिय्योन पर्वत के भागे हुए लोग निकलेंगे। यहोवा यह काम अपनी जलन के कारण करेगा।
32. इसलिये यहोवा अश्शूर के राजा के विषय में यों कहता है कि वह इस नगर में प्रवेश करने, वरन इस पर एक तीर भी मारने न पाएगा, और न वह ढाल ले कर इसके साम्हने आने, वा इसके विरुद्ध दमदमा बनाने पाएगा।
33. जिस मार्ग से वह आया, उसी से वह लौट भी जाएगा, और इस नगर में प्रवेश न करने पाएगा, यहोवा की यही वाणी है।
34. और मैं अपने निमित्त और अपने दास दाऊद के निमित्त इस नगर की रक्षा कर के इसे बचाऊंगा।
35. उसी रात में क्या हुआ, कि यहोवा के दूत ने निकल कर अश्शूरियों की छावनी में एक लाख पचासी हजार पुरुषों को मारा, और भोर को जब लोग सबेरे उठे, तब देखा, कि लोथ ही लोथ पड़ी है।
36. तब अश्शूर का राजा सन्हेरीब चल दिया, और लौट कर नीनवे में रहने लगा।
37. वहां वह अपने देवता निस्रोक के मन्दिर में दण्डवत कर रहा था, कि अदेम्मेलेक और सरेसेर ने उसको तलवार से मारा, और अरारात देश में भाग गए। और उसी का पुत्र एसर्हद्दोन उसके स्थान पर राज्य करने लगा।