12. यों यहोवा का वह वचन पूरा हुआ, जो उसने येहू से कहा था, कि तेरे परपोते के पुत्र तक तेरी सन्तान इस्राएल की गद्दी पर बैठती जाएगी। और वैसा ही हुआ।
13. यहूदा के राजा उज्जिय्याह के उनतालीसवें वर्ष में याबेश का पुत्र शल्लूम राज्य करने लगा, और महीने भर शोमरोन में राज्य करता रहा।
14. क्योंकि गादी के पुत्र मनहेम ने, तिर्सा से शोमरोन को जा कर याबेश के पुत्र शल्लूम को वहीं मारा, और उसे घात कर के उसके स्थान पर राजा हुआ।
15. शल्लूम के और काम और उसने राजद्रोह की जो गोष्ठी की, यह सब इस्राएल के राजाओं के इतिहास की पुस्तक में लिखा है।
16. तब मनहेम ने तिर्सा से जा कर, सब निवासियों और आस पास के देश समेत तिप्सह को इस कारण मार लिया, कि तिप्सहियों ने उसके लिये फाटक न खेले थे, इस कारण उसने उन्हें मार लिया, और उस में जितनी गर्भवती स्त्रियां थीं, उस सभों को चीर डाला।
17. यहूदा के राजा अजर्याह के उनतालीसवें वर्ष में गादी का पुत्र मनहेम इस्राएल पर राज्य करने लगा, और दस वर्ष शोमरोन में राज्य करता रहा।
18. उसने वह किया, जो यहोवा की दृष्टि में बुरा था, अर्थात नबात के पुत्र यारोबाम जिसने इस्राएल से पाप कराया था, उसके पापों के अनुसार वह करता रहा, और उन से वह जीवन भर अलग न हुआ।
19. अश्शूर के राजा पूल ने देश पर चढ़ाई की, और मनहेम ने उसको हजार किक्कार चान्दी इस इच्छा से दी, कि वह उसका सहायक हो कर राज्य को उसके हाथ में स्थिर रखे।
20. यह चान्दी अश्शूर के राजा को देने के लिये मनहेम ने बड़े बड़े धनवान इस्राएलियों से ले ली, एक एक पुरुष को पचास पचास शेकेल चान्दी देनी पड़ी; तब अश्शूर का राजा देश को छोड़ कर लौट गया।
21. मनहेम के उौर काम जो उसने किए, वे सब क्या इस्राएल के राजाओं के इतिहास की पुस्तक में नहीं लिखे हैं?
22. निदान मनहेम अपने पुरखाओं के संग सो गया और उसका पुत्र पकहयाह उसके स्थान पर राज्य करने लगा।
23. यहूदा के राजा अजर्याह के पचासवें वर्ष में मनहेम का पुत्र पकह्याह शोमरोन में इस्राएल पर राज्य करने लगा, और दो वर्ष तक राज्य करता रहा।
24. उसने वह किया जो यहोवा की दृष्टि में बुरा था, अर्थात नबात के पुत्र यारोबाम जिसने इस्राएल से पाप कराया था, उसके पापों के अनुसार वह करता रहा, और उन से वह अलग न हुआ।