13. और तुम, हे भाइयो, भलाई करने में हियाव न छोड़ो।
14. यदि कोई हमारी इस पत्री की बात को न माने, तो उस पर दृष्टि रखो; और उस की संगति न करो, जिस से वह लज्ज़ित हो;
15. तौभी उसे बैरी मत समझो पर भाई जानकर चिताओ॥
16. अब प्रभु जो शान्ति का सोता है आप ही तुम्हें सदा और हर प्रकार से शान्ति दे: प्रभु तुम सब के साथ रहे॥
17. मैं पौलुस अपने हाथ से नमस्कार लिखता हूं: हर पत्री में मेरा यही चिन्ह है: मैं इसी प्रकार से लिखता हूं।
18. हमारे प्रभु यीशु मसीह का अनुग्रह तुम सब पर होता रहे॥