18. और उन्होंने ऊंचे शब्द से उन यरूशलेमियों को जो शहरपनाह पर बैठे थे, यहूदी बोली में पुकारा, कि उन को डरा कर घबराहट में डाल दें जिस से नगर को ले लें।
19. और उन्होंने यरूशलेम के परमेश्वर की ऐसी चर्चा की, कि मानो पृथ्वी के देश देश के लोगों के देवताओं के बराबर हो, जो मनुष्यों के बनाए हुए हैं।
20. तब इन घटनाओं के कारण राजा हिजकिय्याह और आमोस के पुत्र यशायाह नबी दोनों ने प्रार्थना की और स्वर्ग की ओर दोहाई दी।
21. तब यहोवा ने एक दूत भेज दिया, जिसने अश्शूर के राजा की छावनी में सब शूरवीरों, प्रधानों और सेनापतियों को नाश किया। और वह लज्जित हो कर, अपने देश को लौट गया। और जब वह अपने देवता के भवन में था, तब उसके निज पुत्रों ने वहीं उसे तलवार से मार डाला।
22. यों यहोवा ने हिजकिय्याह और यरूशलेम के निवासियों अश्शूर के राजा सन्हेरीब और अपने सब शत्रुओं के हाथ से बचाया, और चारों ओर उनकी अगुवाई की।
23. और बहुत लोग यरूशलेम को यहोवा के लिये भेंट और यहूदा के राजा हिजकिय्याह के लिये अनमोल वस्तुएं ले आने लगे, और उस समय से वह सब जातियों की दृष्टि में महान ठहरा।
24. उन दिनों हिजकिय्याह ऐसा रोगी हुआ, कि वह मरा चाहता था, तब उसने यहोवा से प्रार्थना की; और उसने उस से बातें कर के उसके लिये एक चमत्कार दिखाया।
25. परन्तु हिजकिय्याह ने उस उपकार का बदला न दिया, क्योंकि उसका मन फूल उठा था। इस कारण उसका कोप उस पर और यहूदा और यरूशलेम पर भड़का।
26. तब हिजकिय्याह यरूशलेम के निवासियों समेत अपने मन के फूलने के कारण दीन हो गया, इसलिये यहोवा का क्रोध उन पर हिजकिय्याह के दिनों में न भड़का।
27. और हिजकिय्याह को बहुत ही धन और वैभव मिला; और उसने चान्दी, सोने, मणियों, सुगन्धद्रव्य, ढालों और सब प्रकार के मनभावने पात्रों के लिये भणडार बनवाए।
28. फिर उसने अन्न, नया दाखमधु, और टटका तेल के लिये भणडार, और सब भांति के पशुओं के लिये थान, और भेड़-बकरियों के लिये भेड़शालाएं बनवाई।
29. और उसने नगर बसाए, और बहुत ही भेड़-बकरियों और गाय-बैलों की सम्पत्ति इकट्ठा कर ली, क्योंकि परमेश्वर ने उसे बहुत ही धन दिया था।
30. उसी हिजकिय्याह ने गीहोन नाम नदी के ऊपर के सोते को पाट कर उस नदी को नीचे की ओर दाऊदपुर की पच्छिम अलंग को सीधा पहुंचाया, और हिजकिय्याह अपने सब कामों में कृतार्थ होता था।
31. तौभी जब बाबेल के हाकिमों ने उसके पास उसके देश में किए हुए चमत्कार के विषय पूछने को दूत भेजे तब परमेश्वर ने उसको इसलिये छोड़ दिया, कि उसको परख कर उसके मन का सारा भेद जान ले।
32. हिजकिय्याह के और काम, ओर उसके भक्ति के काम आमोस के पुत्र यशायाह नबी के दर्शन नाम पुस्तक में, और यहूदा और इस्राएल के राजाओं के इतिहास की पुस्तक में लिखे हैं।