8. फिर लबानोन से मेरे पास देवदार, सनोवर और चंदन की लकड़ी भेजना, क्योंकि मैं जानता हूँ कि तेरे दास लबानोन में वृक्ष काटना जानते हैं, और तेरे दासों के संग मेरे दास भी रहकर,
9. मेरे लिये बहुत सी लकड़ी तैयार करेंगे, क्योंकि जो भवन मैं बनाना चाहता हूँ, वह बड़ा और अचम्भे के योग्य होगा।
10. और तेरे दास जो लकड़ी काटेंगे, उन को मैं बीस हजार कोर कूटा हुआ गेहूं, बीस हजार कोर जव, बीस हजार बत दाखमधु और बीस हजार बत तेल दूंगा।
11. तब सोर के राजा हूराम ने चिट्ठी लिख कर सुलैमान के पास भेजी, कि यहोवा अपनी प्रजा से प्रेम रखता है, इस से उसने तुझे उनका राजा कर दिया।
12. फिर हूराम ने यह भी लिखा कि धन्य है इस्राएल का परमेश्वर यहोवा, जो आकाश और पृथ्वी का सृजनहार है, और उसने दाऊद राजा को एक बुद्धिमान, चतुर और समझदार पुत्र दिया है, ताकि वह यहोवा का एक भवन और अपना राजभवन भी बनाए।
13. इसलिये अब मैं एक बुद्धिमान और समझदार पुरुष को, अर्थात हूराम-अबी को भेजता हूँ,
14. जो एक दानी स्त्री का बेटा है, और उसका पिता सोर का था। और वह सोने, चान्दी, पीतल, लोहे, पत्थर, लकड़ी, बैंजनी और नीले और लाल और सूक्ष्म सन के कपड़े का काम, और सब प्रकार की नक्काशी को जानता और सब भांति की कारीगरी बना सकता है: सो तेरे चतुर मनुष्यों के संग, और मेरे प्रभु तेरे पिता दाऊद के चतुर मनुष्यों के संग, उसको भी काम मिले।
15. और मेरे प्रभु ने जो गेहूं, जव, तेल और दाखमधु भेजने की चर्चा की है, उसे अपने दासों के पास भिजवा दे।
16. और हम लोग जितनी लकड़ी का तुझे प्रयोजन हो उतनी लबानोन पर से काटेंगे, और बेड़े बनवा कर समुद्र के मार्ग से जापा को पहुचाएंगे, और तू उसे यरूशलेम को ले जाना।
17. तब सुलैमान ने इस्राएली देश के सब परदेशियों की गिनती ली, यह उस गिनती के बाद हुई जो उसके पिता दाऊद ने ली थी; और वे डेढ़ लाख तीन हजार छ: सौ पुरुष निकले।
18. उन में से उसने सत्तर हजार बोझिये, अस्सी हजार पहाड़ पर पत्थर काटने वाले और वृक्ष काटने वाले और तीन हजार छ: सौ उन लोगों से काम कराने वाले मुखिये नियुक्त किए।