14. फिर सुलैमान ने रथ और सवार इकट्ठे कर लिये; और उसके चौदह सौ रथ और बारह हजार सवार थे, और उन को उसने रथों के नगरों में, और यरूशलेम में राजा के पास ठहरा रखा।
15. और राजा ने ऐसा किया, कि यरूशलेम में सोने-चान्दी का मूल्य बहुतायत के कारण पत्थरों का सा, और देवदारों का मूल्य नीचे के देश के गूलरों का सा बना दिया।
16. और जो घोड़े सुलैमान रखता था, वे मिस्र से आते थे, और राजा के व्यापारी उन्हें झुणड के झुणड ठहराए हुए दाम पर लिया करते थे।
17. एक रथ तो छ: सौ शेकेल चान्दी पर, और एक घोड़ा डेढ़ सौ शेकेल पर मिस्र से आता था; और इसी दाम पर वे हित्तियों के सब राजाओं और अराम के राजाओं के लिये उन्हीं के द्वारा लाया करते थे।