5. जब वे सूफ नाम देश में आए, तब शाऊल ने अपने साथ के सेवक से कहा, आ, हम लौट चलें, ऐसा न हो कि मेरा पिता गदहियों की चिन्ता छोड़कर हमारी चिन्ता करने लगे।
6. उसने उस से कहा, सुन, इस नगर में परमेश्वर का एक जन है जिसका बड़ा आदरमान होता है; और जो कुछ वह कहता है वह बिना पूरा हुए नहीं रहता। अब हम उधर चलें, सम्भव है वह हम को हमार मार्ग बताए कि किधर जाएं।
7. शाऊल ने अपने सेवक से कहा, सुन, यदि हम उस पुरूष के पास चलें तो उसके लिये क्या ले चलें? देख, हमारी थैलियों में की रोटी चुक गई है और भेंट के योग्य कोई वस्तु है ही नहीं, जो हम परमेश्वर के उस जन को दें। हमारे पास क्या है?
8. सेवक ने फिर शाऊल से कहा, कि मेरे पास तो एक शेकेल चान्दी की चौथाई है, वही मैं परमेश्वर के जन को दूंगा, कि वह हम को बताए कि किधर जाएं।
9. पूर्वकाल में तो इस्राएल में जब कोई परमेस्वर से प्रश्न करने जाता तब ऐसा कहता था, कि चलो, हम दर्शी के पास चलें; क्योंकि जो आज कल नबी कहलाता है वह पूर्वकाल में दर्शी कहलाता था।
10. तब शाऊल ने अपने सेवक से कहा, तू ने भला कहा है; हम चलें। सो वे उस नगर को चले जहां परमेश्वर का जन था।
11. उस नगर की चढ़ाई पर चढ़ते समय उन्हें कई एक लड़कियां मिलीं जो पानी भरने को निकली थीं; उन्होंने उन से पूछा, क्या दर्शी यहां है?
12. उन्होंने उत्तर दिया, कि है; देखो, वह तुम्हारे आगे है। अब फुर्ती करो; आज ऊंचे स्थान पर लोगों का यज्ञ है, इसलिये वह आज नगर में आया हुआ है।
13. ज्योंही तुम नगर में पहुंचो त्योंही वह तुम को ऊंचे स्थान पर खाना खाने को जाने से पहिले मिलेगा; क्योंकि जब तक वह न पहुंचे तब तक लोग भोजन करेंगे, इसलिये कि यज्ञ के विषय में वही धन्यवाद करता; तब उसके पीछे ही न्योतहरी भोजन करते हैं। इसलिये तुम अभी चढ़ जाओ, इसी समय वह तुम्हें मिलेगा।
14. वे नगर में चढ़ गए और ज्योंही नगर के भीतर पहुंचे त्योंही शमूएल ऊंचे स्थान पर चढ़ने की मनसा से उनके साम्हने आ रहा था॥
15. शाऊल के आने से एक दिन पहिले यहोवा ने शमूएल को यह चिता रखा था,
16. कि कल इसी समय मैं तेरे पास बिन्यामीन के देश से एक पुरूश को भेजूंगा, उसी को तू मेरी इस्राएली प्रजा के ऊपर प्रधान होने के लिये अभिषेक करना। और वह मेरी प्रजा को पलिश्तियों के हाथ से छुड़ाएगा; क्योंकि मैं ने अपनी प्रजा पर कृपा दृष्टि की है, इसलिये कि उनकी चिल्लाहट मेरे पास पंहुची है।
17. फिर जब शमूएल को शाऊल देख पड़ा, तब यहोवा ने उस से कहा, जिस पुरूष की चर्चा मैं ने तुझ से की थी वह यही है; मेरी प्रजा पर यही अधिकार करेगा।
18. तब शाऊल फाटक में शमूएल के निकट जा कर कहने लगा, मुझे बता कि दर्शी का घर कहां है?
19. उसने कहा, दर्शी तो मैं हूं; मेरे आगे आगे ऊंचे स्थान पर चढ़ जा, क्योंकि आज के दिन तुम मेरे साथ भोजन खाओगे, और बिहान को जो कुछ तेरे मन में हो सब कुछ मैं तुझे बता कर विदा करूंगा।