4. तब उन लोगों ने शीलो में भेज कर वहां से करूबों के ऊपर विराजने वाले सेनाओं के यहोवा की वाचा का सन्दूक मंगा लिया; और परमेश्वर की वाचा के सन्दूक के साथ एली के दोनों पुत्र, होप्नी और पिनहास भी वहां थे।
5. जब यहोवा की वाचा का सन्दूक छावनी में पहुंचा, तब सारे इस्राएली इतने बल से ललकार उठे, कि भूमि गूंज उठी।
6. इस ललकार का शब्द सुनकर पलिश्तियों ने पूछा, इब्रियों की छावनी में ऐसी बड़ी ललकार का क्या कारण है? तब उन्होंने जान लिया, कि यहोवा का सन्दूक छावनी में आया है।
7. तब पलिश्ती डरकर कहने लगे, उस छावनी में परमेश्वर आ गया है। फिर उन्होंने कहा, हाय! हम पर ऐसी बात पहिले नहीं हुई थी।
8. हाय! ऐसे महाप्रतापी देवताओं के हाथ से हम को कौन बचाएगा? ये तो वे ही देवता हैं जिन्होंने मिस्रियों पर जंगल में सब प्रकार की विपत्तियां डाली थीं।
9. हे पलिश्तियों, तुम हियाव बान्धो, और पुरूषार्थ जगाओ, कहीं ऐसा न हो कि जैसे इब्री तुम्हारे आधीन हो गए वैसे तुम भी उनके आधीन हो जाओ; पुरूषार्थ करके संग्राम करो।
10. तब पलिश्ती लड़ाई के मैदान में टूट पड़े, और इस्राएली हार कर अपने अपने डेरे को भागने लगे; और ऐसा अत्यन्त संहार हुआ, कि तीस हजार इस्राएली पैदल खेत आए।
11. और परमेश्वर का सन्दूक छीन लिया गया; और एली के दोनों पुत्र, होप्नी और पीनहास, भी मारे गए।