8. और दाऊद ने यहोवा से पूछा, क्या मैं इस दल का पीछा करूं? क्या उसको जा पकडूंगा? उसने उस से कहा, पीछा कर; क्योंकि तू निश्चय उसको पकड़ेगा, और निसन्देह सब कुछ छुड़ा लाएगा;
9. तब दाऊद अपने छ: सौ साथी जनों को ले कर बसोर नाम नाले तक पहुंचा; वहां कुछ लोग छोड़े जा कर रह गए।
10. दाऊद तो चार सौ पुरूषों समेत पीछा किए चला गया; परन्तु दौ सौ जो ऐसे थक गए थे, कि बसोर नाले के पार न जा सके वहीं रहे।
11. उन को एक मिस्री पुरूष मैदान में मिला, उन्होंने उसे दाऊद के पास ले जा कर रोटी दी; और उसने उसे खाया, तब उसे पानी पिलाया,
12. फिर उन्होंने उसको अंजीर की टिकिया का एक टुकड़ा और दो गुच्छे किशमिश दिए। और जब उसने खाया, तब उसके जी में जी आया; उसने तीन दिन और तीन रात से न तो रोटी खाई थी और न पानी पिया था।
13. तब दाऊद ने उस से पूछा, तू किस का जन है? और कहां का है? उसने कहा, मैं तो मिस्री जवान और एक अमालेकी मनुष्य का दास हूँ; और तीन दिन हुए कि मैं बीमार पड़ा, और मेरा स्वामी मुझे छोड़ गया।