1. और यहोवा ने शमूएल से कहा, मैं ने शाऊल को इस्राएल पर राज्य करने के लिये तुच्छ जाना है, तू कब तक उसके विषय विलाप करता रहेगा? अपने सींग में तेल भर के चल; मैं तुझ को बेतलेहेमी यिशै के पास भेजता हूं, क्योंकि मैं ने उसके पुत्रों में से एक को राजा होने के लिये चुना है।
2. शमूएल बोला, मैं क्योंकर जा सकता हूं? यदि शाऊल सुन लेगा, तो मुझे घात करेगा। यहोवा ने कहा, एक बछिया साथ ले जा कर कहना, कि मैं यहोवा के लिये यज्ञ करने को आया हूं।
3. और यज्ञ पर यिशै को न्योता देना, तब मैं तुझे जता दूंगा कि तुझ को क्या करना है; और जिस को मैं तुझे बताऊं उसी को मेरी ओर से अभिषेक करना।
4. तब शमूएल ने यहोवा के कहने के अनुसार किया, और बेतलहेम को गया। उस नगर के पुरनिये थरथराते हुए उस से मिलने को गए, और कहने लगे, क्या तू मित्रभाव से आया है कि नहीं?
5. उसने कहा, हां, मित्रभाव से आया हूं; मैं यहोवा के लिये यज्ञ करने को आया हूं; तुम अपने अपने को पवित्र करके मेरे साथ यज्ञ में आओ। तब उसने यिशै और उसके पुत्रों को पवित्र करके यज्ञ में आने का न्योता दिया।
6. जब वे आए, तब उसने एलीआब पर दृष्टि करके सोचा, कि निश्चय जो यहोवा के साम्हने है वही उसका अभिषिक्त होगा।
7. परन्तु यहोवा ने शमूएल से कहा, न तो उसके रूप पर दृष्टि कर, और न उसके डील की ऊंचाई पर, क्योंकि मैं ने उसे अयोग्य जाना है; क्योंकि यहोवा का देखना मनुष्य का सा नहीं है; मनुष्य तो बाहर का रूप देखता है, परन्तु यहोवा की दृष्टि मन पर रहती है।
8. तब यिशै ने अबीनादाब को बुलाकर शमूएल के साम्हने भेजा। और उस से कहा, यहोवा ने इस को भी नहीं चुना।
9. फिर यिशै ने शम्मा को साम्हने भेजा। और उसने कहा, यहोवा ने इस को भी नहीं चुना।
10. योंही यिशै ने अपने सात पुत्रों को शमूएल के साम्हने भेजा। और शमूएल यिशै से कहता गया, यहोवा ने इन्हें नहीं चुना।