1. तब शमूएल ने सारे इस्राएलियों से कहा, सुनो, जो कुछ तुम ने मुझ से कहा था उसे मानकर मैं ने एक राजा तुम्हारे ऊपर ठहराया है।
2. और अब देखो, वह राजा तुम्हारे आगे आगे चलता है; और अब मैं बूढ़ा हूं, और मेरे बाल उजले हो गए हैं, और मेरे पुत्र तुम्हारे पास हैं; और मैं लड़कपन से ले कर आज तक तुम्हारे साम्हने काम करता रहा हूं।
3. मैं उपस्थित हूं; इसलिये तुम यहोवा के साम्हने, और उसके अभिषिक्त के सामने मुझ पर साक्षी दो, कि मैं ने किस का बैल ले लिया? वा किस का गदहा ले लियो? वा किस पर अन्धेर किया? वा किस को पीसा? वा किस के हाथ से अपनी आंखें बन्द करने के लिये घूस लिया? बताओ, और मैं वह तुम को फेर दूंगा?
4. वे बोले, तू ने न तो हम पर अन्धेर किया, न हमें पीसा, और न किसी के हाथ से कुछ लिया है।
5. उसने उन से कहा, आज के दिन यहोवा तुम्हारा साक्षी, और उसका अभिषिक्त इस बात का साक्षी है, कि मेरे यहां कुछ नहीं निकला। वे बोले, हां, वह साक्षी है।
6. फिर शमूएल लोगों से कहने लगा, जो मूसा और हारून को ठहराकर तुम्हारे पूर्वजों को मिस्र देश से निकाल लाया वह यहोवा ही है।
7. इसलिये अब तुम खड़े रहो, और मैं यहोवा के साम्हने उसके सब धर्म के कामों के विषय में, जिन्हें उसने तुम्हारे साथ और तुम्हारे पूर्वजों के साथ किया है, तुम्हारे साथ विचार करूंगा।
8. याकूब मिस्र में गया, और तुम्हारे पूर्वजों ने यहोवा की दोहाई दी; तब यहोवा ने मूसा और हारून को भेजा, और उन्होंने तुम्हारे पूर्वजों को मिस्र से निकाला, और इस स्थान में बसाया।
9. फिर जब वे अपने परमेश्वर यहोवा को भूल गए, तब उसने उन्हें हासोर के सेनापति सीसरा, और पलिश्तियों और मोआब के राजा के आधीन कर दिया; और वे उन से लड़े।
10. तब उन्होंने यहोवा की दोहाई देकर कहा, हम ने यहोवा को त्यागकर और बाल देवताओं और अशतोरेत देवियों की उपासना करके महा पाप किया है; परन्तु अब तू हम को हमारे शत्रुओं के हाथ से छुड़ा तो हम तेरी उपासना करेंगे।