61. तो तुम्हारा मन हमारे परमेश्वर यहोवा की ओर ऐसी पूरी रीति से लगा रहे, कि आज की नाईं उसकी विधियों पर चलते और उसकी आज्ञाएं मानते रहो।
62. तब राजा समस्त इस्राएल समेत यहोवा के सम्मुख मेलबलि चढ़ाने लगा।
63. और जो पशु सुलैमान ने मेलबलि में यहोवा को चढ़ाए, सो बाईस हजार बैल और एक लाख बीस हजार भेड़ें थीं। इस रीति राजा ने सब इस्राएलियों समेत यहोवा के भवन की प्रतिष्ठा की।
64. उस दिन राजा ने यहोवा के भवन के साम्हने वाले आंगन के मध्य भी एक स्थान पवित्र किया और होमबलि, और अन्नबलि और मेलबलियों की चरबी वहीं चढ़ाई; क्योंकि जो पीतल की वेदी यहोवा के साम्हने थी, वह उनके लिये छोटी थी।
65. और सुलैमान ने और उसके संग समस्त इस्राएल की एक बड़ी सभा ने जो हमात की घाटी से ले कर मिस्र के नाले तक के सब देशों से इकट्ठी हुई थी, दो सप्ताह तक अर्थात चौदह दिन तक हमारे परमेश्वर यहोवा के साम्हने पर्व को माना। फिर आठवें दिन उसने प्रजा के लोगों को विदा किया।