4. और उसने यहोशापात से पूछा, क्या तू मेरे संग गिलाद के रामोत से लड़ने के लिये जाएगा? यहोशापात ने इस्राएल के राजा को उत्तर दिया, जैसा तू है वैसा मैं भी हूँ। जैसी तेरी प्रजा है वैसी ही मेरी भी प्रजा है, और जैसे तेरे घोड़े हैं वैसे ही मेरे भी घोड़े हैं।
5. फिर यहोशापात ने इस्राएल के राजा से कहा,
6. कि आज यहोवा की इच्छा मालूम कर ले, तब इस्राएल के राजा ने नबियों को जो कोई चार सौ पुरुष थे इकट्ठा करके उन से पूछा, क्या मैं गिलाद के रामोत से युद्ध करने के लिये चढ़ाई करूं, वा रुका रहूं? उन्होंने उत्तर दिया, चढ़ाई कर: क्योंकि प्रभु उसको राजा के हाथ में कर देगा।
7. परन्तु यहोशापात ने पूछा, क्या यहां यहोवा का और भी कोई नबी नहीं है जिस से हम पूछ लें?
8. इस्राएल के राजा ने यहोशापात से कहा, हां, यिम्ला का पुत्र मीकायाह एक पुरुष और है जिसके द्वारा हम यहोवा से पूछ सकते हैं? परन्तु मैं उस से घृणा रखता हूँ, क्योंकि वह मेरे विष्य कल्याण की नहीं वरन हानि ही की भविष्यद्वाणी करता है।
9. यहोशापात ने कहा, राजा ऐसा न कहे। तब इस्राएल के राजा ने एक हाकिम को बुलवा कर कहा, यिम्ला के पुत्र मीकायाह को फुतीं से ले आ।