20. जिम्री के और काम और जो राजद्रोह की गोष्ठी उसने की, यह सब क्या इस्राएल के राजाओं के इतिहास की पुस्तक में नहीं लिखा है?
21. तब इस्राएली प्रजा के दो भाग किए गए, प्रजा के आधे लोग तो तिब्नी नाम गीनत के पुत्र को राजा करने के लिये उसी के पीछे हो लिए, और आधे ओम्री के पीछे हो लिए।
22. अन्त में जो लोग ओम्री के पीछे हुए थे वे उन पर प्रबल हुए जो गीनत के पुत्र तिब्नी के पीछे हो लिए थे, इसलिये तिब्नी मारा गया और ओम्री राजा बन गया।
23. यहूदा के राजा आशा के इकतीसवें वर्ष में ओम्री इस्राएल पर राज्य करने लगा, और बारह वर्ष तक राज्य करता रहा; उसने छ:वर्ष तो तिर्सा में राज्य किया।
24. और उसने शमेर से शोमरोन पहाड़ को दो किक्कार चांदी में मोल ले कर, उस पर एक नगर बसाया; और अपने बसाए हुए नगर का नाम पहाड़ के मालिक शेमेर के नाम पर शोमरोन रखा।
25. और उोम्री ने वह किया जो यहोवा की दृष्टि में बुरा था वरन उन सभों से भी जो उस से पहिले थे अधिक बुराई की।
26. वह नबात के पुत्र यारोबाम की सी सब चाल चला, और उसके सब पापों के अनुसार जो उसने इस्राएल से करवाए थे जिसके कारण इस्राएल के परमेश्वर यहोवा को उन्होंने अपने व्यर्थ कर्मों से क्रोध दिलाया था।
27. ओम्री के और काम जो उसने किए, और जो वीरता उसने दिखाई, यह सब क्या इस्राएल के राजाओं के इतिहास की पुस्तक में नहीं लिखा है?
28. निदान ओम्री अपने पुरखाओं के संग सो गया और शोमरोन में उसको मिट्टी दी गई, और उसका पुत्र अहाब उसके स्थान पर राज्य करने लगा।
29. यहूदा के राजा आसा के अड़तीसवें वर्ष में ओम्री का पुत्र अहाब इस्राएल पर राज्य करने लगा, और इस्राएल पर शोमरोन में बाईस वर्ष तक राज्य करता रहा।
30. और ओम्री के पुत्र अहाब ने उन सब से अधिक जो उस से पहिले थे, वह कर्म किए जो यहोवा की दृष्टि में बुरे थे।
31. उसने तो नबात के पुत्र यारोबाम के पापों में चलना हलकी सी बात जानकर, सीदोनियों के राजा एतबाल की बेटी ईजेबेल को ब्याह कर बाल देवता की उपासना की और उसको दण्डवत किया।