16. सदा आनन्दित रहो।
17. निरन्तर प्रार्थना मे लगे रहो।
18. हर बात में धन्यवाद करो: क्योंकि तुम्हारे लिये मसीह यीशु में परमेश्वर की यही इच्छा है।
19. आत्मा को न बुझाओ।
20. भविष्यद्वाणियों को तुच्छ न जानो।
21. सब बातों को परखो: जो अच्छी है उसे पकड़े रहो।