10. क्योंकि परमेश्वर की भक्ति ग्रहण करने वाली स्त्रियों को यही उचित भी है।
11. और स्त्री को चुपचाप पूरी आधीनता में सीखना चाहिए।
12. और मैं कहता हूं, कि स्त्री न उपदेश करे, और न पुरूष पर आज्ञा चलाए, परन्तु चुपचाप रहे।
13. क्योंकि आदम पहिले, उसके बाद हव्वा बनाई गई।
14. और आदम बहकाया न गया, पर स्त्री बहकाने में आकर अपराधिनी हुई।
15. तौभी बच्चे जनने के द्वारा उद्धार पाएंगी, यदि वे संयम सहित विश्वास, प्रेम, और पवित्रता में स्थिर रहें॥