1. मनुष्य हमें मसीह के सेवक और परमेश्वर के भेदों के भण्डारी समझे।
2. फिर यहां भण्डारी में यह बात देखी जाती है, कि विश्वास योग्य निकले।
3. परन्तु मेरी दृष्टि में यह बहुत छोटी बात है, कि तुम या मनुष्यों का कोई न्यायी मुझे परखे, वरन मैं आप ही अपने आप को नहीं परखता।