12. और उसने कहा, यदि अरामी मुझ पर प्रबल होने लगें, तो तू मेरी सहायता करना; और यदि अम्मोनी तुझ पर प्रबल होने लगें, तो मैं तेरी सहायता करूंगा।
13. तू हियाव बान्ध और हम सब अपने लोगों और अपने परमेश्वर के नगरों के निमित्त पुरुषार्थ करें; और यहोवा जैसा उसको अच्छा लगे, वैसा ही करेगा।
14. तब योआब और जो लोग उसके साथ थे, अरामियों से युद्ध करने को उनके साम्हने गए, और वे उसके साम्हने से भागे।
15. यह देख कर कि अरामी भाग गए हैं, अम्मोनी भी उसके भाई अबीशै के साम्हने से भाग कर नगर के भीतर घुसे। तब योआब यरूशलेम को लौट आया।
16. फिर यह देख कर कि वे इस्राएलियों से हार गए हैं अरामियों ने दूत भेज कर महानद के पार के अरामियों को बुलवाया, और हदरेजेर के सेनापति शोपक को अपना प्रधान बनाया।
17. इसका समाचार पाकर दाऊद ने सब इस्राएलियों को इकट्ठा किया, और यरदन पार हो कर उन पर चढ़ाई की और उनके विरुद्ध पांति बन्धाई, तब वे उस से लड़ने लगे।
18. परन्तु अरामी इस्राएलियों से भागे, और दाऊद ने उन में से सात हजार रथियों और चालीस हजार प्यादों को मार डाला, और शोपक सेनापति को भी मार डाला।
19. यह देखकर कि वे इस्राएलियों से हार गए हैं, हदरेजेर के कर्मचारियों ने दाऊद से संधि की और उसके आधीन हो गए; और अरामियों ने अम्मोनियों की सहायता फिर करनी न चाही।