8. और जहां कहीं तू आया और गया, वहां मैं तेरे संग रहा, और तेरे सब शत्रुओं को तेरे साम्हने से नष्ट किया है। अब मैं तेरे नाम को पृथ्वी के बड़े बड़े लोगों के नामों के समान बड़ा कर दूंगा।
9. और मैं अपनी प्रजा इस्राएल के लिये एक स्थान ठहराऊंगा, और उसको स्थिर करूंगा कि वह अपने ही स्थान में बसी रहे और कभी चलायमान न हो; और कुटिल लोग उन को नाश न करने पाएंगे, जैसे कि पहिले दिनों में करते थे;
10. उस समय भी जब मैं अपनी प्रजा इस्राएल के ऊपर न्यायी ठहराता था; सो मैं तेरे सब शत्रुओं को दबा दूंगा। फिर मैं तुझे यह भी बताता हूँ, कि यहोवा तेरा घर बनाये रखेगा।
11. जब तेरी आयु पूरी हो जायेगी और तुझे अपने पितरों के संग जाना पड़ेगा, तब मैं तेरे बाद तेरे वंश को जो तेरे पुत्रों में से होगा, खड़ा कर के उसके राज्य को स्थिर करूंगा।
12. मेरे लिए एक घर वही बनाएगा, और मैं उसकी राजगद्दी को सदैव स्थिर रखूंगा।
13. मैं उसका पिता ठहरूंगा और वह मेरा पुत्र ठहरेगा; और जैसे मैं ने अपनी करुणा उस पर से जो तुझ से पहिले था हटाई, वैसे मैं उस पर से न हटाऊंगा,
14. वरन मैं उसको अपने घर और अपने राज्य में सदैव स्थिर रखूंगा और उसकी राजगद्दी सदैव अटल रहेगी।